Tuesday, September 7, 2010

दुर

बहुत दुर था वो मुझसे
फिर भी आश रहती है
वो है यहीं आस पास मेरे
पर खुदा को यह रास न आया
मेरा खुशियां
मेरी हंसी
पता नहीं उसे क्यों न रास आया
वो अब इस जहां में नहीं
वो आश
वो उम्मीदें
चला गया उसके साथ
सब कहते है खुदा बुरा नहीं करता
जो उसने किया वो क्या है
दिल अब नहीं मानता खुदा भी कोई है
ये तो एक अल्फाज है
जिसे हमने एक नाम दे दिया
इसके अलावा वो कुछ भी नहीं
पत्थर की मुरत भी रो पड़ती है
किसी को तड़पता देख
किसी के प्यार में किसी को मरता देख
पर यह खुबी इस खुदा में नहीं..............

Sunday, May 9, 2010

मत बाटो मुझे दो टुकडो मे
जहा मै मै न रह पाऊ
मत बांधो मुझे ऐसे रिश्ते मे
जिसे मे चाहकर भी निभा न पाऊ
शारीर का आत्मा से एक रिश्ता है
दोनों एक दुसरे से जुदा
तो कुछ भी नहीं है
विवश न करो मुझे
एक ऐसी जिंदगी जीने के लिये
जहा मे सब कुछ पाकर भी है
सब कुछ खो दु
मत टुकड़े करो मेरे
जहा मै न तुम्हारी ही रह सकू
न बन सकू किसी और की
जी करता है तोड़ दू उस वचन को
जिसने मुझे बांध रखा है
जिस वचन को दे कर
तुम मुक्त हो
हर एक बंधन से
मुक्त हो तुम ,
जज्बातों के उठने वाले उस भवर से
मुक्त हो तुम
हर उस रिश्ते से जिसे तुम निभाना नहीं चाहते
मुक्त हो तुम
मुझे अपनी मजबूरियों के हवाले कर
मुक्त हो तुम
मुझे वचनों के बंधन में बांध कर
मुझे दो नाव में सवार कर
तुम खुश हो अपने जीवन में

मुझ से मेरे जिंदगी छीन कर

Tuesday, April 13, 2010

एक आहट के इंतजार मे हू

जाने कब उस आहट के आहट से

फिर से सुकू मेरे आखों को आये

तेरे आहट के इंतजार मे जो खोये है

एक आहट जो तेरे आन से

कसर सुना देती है

जो एक कुशनुमा एहसास भर जाती है

बस फिर से तेरे आन का इंतजार है

हर आहट पर निगाहें

उस ओर बरबस उठा जाती है

जिस और से तू आता था

लगता है जैसे की तू फिर से गया है

दिल को मेरे सुकून गया है

एक आहट फिर से हो शायद

ऐसा मुझे भ्रम हो गया है

लगता है कही हम खोये रहे

और तू आकर कही चला जाये

Wednesday, March 24, 2010

विश्वास मुठी मे रेत की तरह
हाथो से जाता रहा और
मै बस देखती रही
देखती रही उसके बदलते रूप को
इतना भयावह
की रूह तक कॉप गया
उसके चहेरे से उतरते उस मुखोटे की
मेरे लिए जोः अनजान था


Monday, March 22, 2010

चलो फिर दूंढ़ लेते है एक नई राह
फिर से एक और नई मंजिले
जहा प्यार के फूल खिले
और काटो की कोई चुभन न हो
जहा कोयल की मिटी कुक हो
गिद्ध की नजर न हो
जहा गरीबी न हो न हो अमीरी
जहा जीते हो लोग साथ मिलकर जिन्दगी
वहा प्यार के गीत हो
दर्द का कोई नगमा न हो
न कोई सोता हो भूखे पेट
न जीता हो कोई बेबस लाचार की जिन्दगी

आखरी कोशिश
तेरा प्यार पाने का
शायद नाकाम कोशिश
तुझे अपना बनाने का
पहला कोशिश
तेरा विशवास पाने का
और ये आखरी कोशिश
तुझे भूल जाने का .

Monday, March 15, 2010

आज भी मेरे आखों मे


वो दिन ठहरे हुए से है


जब मुझे छोड़ कर तुम


यु हँस रहे थे


अकेले तन्हाई के हवाले कर


मेरी खुशिया अपने साथ ले कर


मुझे छोड़ चले गए थे


उस दिन मेरे आखों मे


मैंने दर्द छुपा कर तुमसे


एक और विदाई मागी थी


अकेले तनहा रोने का नाता जोड़


तुझसे दूर रहने की विदाई मागी थि


वो जिस दिन जाना था तुम्हे


तब कोशिश की थी कई बार


गिरे आखों से आसू


उस मे भी आसफल हो



कर कूद को कोष रही थि


मुस्कुरा रहे थे तुम सब के साथ


देख कर मुझे अनदेखा कर रहे थे


और मेरी आखे दिल मे छुपी


दर्द बयां कर रही थी


एक पल लगा मुझे तुम्हारी नजरे दुंद रही हो मुझे


फिर मुस्कुराई थी खुद के पागलपन पे


तुम्हे युही कितने देर तक dek रह जाना


और उन पालो मे कूद के आसू को रोक पाना


मुस्किल था बहुत मेरे लिये


वो जुदाई का पल मेरे लिये देख पाना सम्बह्वा था


मे वह से कुछ दूर बठी


तुझे विदा कर रही थि


वो पल रुक सा गया था मेरे लिये


हर कोई तुझे विदा कर रहा था


मेरे लिये वो पल बहुत कठिन था


दिल करता था तुझे एक बार फिर देलू


फिर तुझ से मुलाकात हो या हो


पर कदम आगे बढ़ रहे थे पीछे


तुम चले गए मे देखती रह गई तुम्हे


फिर एक झूटी आस लगाये बैठ हु


आओगे फिर एक बार इस इंतजार मई